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Wednesday, September 22, 2010

करवाहट जीवन की........!



जिन्दगी में अहसास ,
कुछ इस तरह मिला की हम खुद को ही खो बैठे
हम उन्हें चाहते हे दिलबर की तरह,
वो मुझसे रहते हे ,कुछ रूठे-रूठे ,
अब तो डरता हु अपने ही वजूद से |
न जाने जिन्दगी किस मोड़ पर,
क्या गुनाह कर बैठे ?

क्या ? मेरे ही दिल में तमन्ना है उन्हें पाने का,
या , वो भी तडपते होंगे मेरे लिए ,
शायद ये मेरा वहम हे , या उनका दिल बेरहम हे !
इसलिए तो वो मुझसे रहते हे कुछ ऐठे - ऐठे ,
तभी तो डरता हु अपने वजूद से ,
न जाने जिन्दगी किस मोड़ पर,
क्या गुनाह कर बैठे ?

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