मुझे अजीब लगता है |
जब संघर्ष विराम की और कुच करता है !!
जब मानवता वर्तमान के बारे में कम और,
भविष्य के बारे में ज्यादा सोचती हैं |
लहू की बूंद जमी हुई मालूम पड़ती है ,
सोचता हूँ आगे क्या हैं ?
कोई खतरनाक मोड़ या,
संघर्ष की अवस्था या कोई ,अद्भुत परिकल्पना,
जहाँ मैं अपने आप को अकेला पाता हूँ |
खैर कोई बात नहीं....! चलता है ,
जीवन इसी को तो कहते है जहाँ ,
रुकाबट,पर्तीक्षा ,परीक्षा, और संघर्ष
इनके बिना जीवन की परिकल्पना,
अधूरी सी दिखती है !!
पर कुछ मामलो में ,मैं अपने आप को ठहरा हुआ पाता हूँ|
कोई मेरे जज्बातों से खेल जाता है ,
मैं समझ नहीं पता ,
जो मेरे दिल को अच्छा लगता है या लगती है ,
बाद में उसी से नफरत क्यों हो जाता हैं |
ये मेरा अहम् है या कुछ और ,
किससे पुछू .......? कैसे पुछू .......?
लेकिन जानना तो पड़ेगा |
वर्ना मैं घुट घुट कर मर जाऊंगा |
मैं मरना नहीं चाहता ,
मैं जानना चाहता हूँ सच क्या हें |
देख लिया ,
उसे जो मेरे चारो और रहते हें,
सिर्फ दिखाबा है ,जो मेरी कल्पना के अन्दर तो है,
पर धुंधली सी ||
जाने कब.....? ये अपनी असलियत बता पाएंगे,
लेकिन मैं भी............................?????
dunia hai...chhatpatahatb hai kuch kahne ki magar duania na jane....
ReplyDeleteacha likha hai
अच्छी कविता लिखी है,
ReplyDeletemerajawab.blogspot.com
बहुत ही अछे जज़्बात हैं और बयान का तरीका व भाषा पर पकड़ अच्छी लगी |
ReplyDeleteअपने जज्बात को यूं ही शब्दों में पिरोते रहिए...
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। हिंदी ब्लागिंग को आप और ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है।
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अच्छे शब्द, सोच और भाव - शुभकामनाएं
ReplyDeleteohhhhhh guru cha gaye guru tussi cha gaye.
ReplyDeleteoh guru jis tarah fhoolo me chaman khila karte.
bandooke ke chalne se naman khila karte hai.
usi tarah guru teri kavita ko padne se dil se upharo ke pushp khila karte hai guru. tussi great hooooo guru. cha gaye guru tussi cha gaye.