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Tuesday, May 25, 2010

मर्यादा


दुनिया की इज्ज़त लुट रही ,अब न जाने कब क्या होगा ?
हम राम कृष्ण के वंसज है मर्यादा में रहना होगा |

रावन ने हाथ बढाया है ,
सीता के दामन छूने को |
दुर्योधन ने की है पुकार
द्रोपदी की चिर खोलने को |

क्या....? तुम पांडव बन जाओगे, इज्ज़त को नहीं बचाओगे |
तुम्हे राम कृष्ण बनना होगा, मर्यादा में रहना होगा|

परदे से बहार आई नारी,
फैशन में वो छोड़ी साडी|
पहने ऐसा परिधान की,
सारा अंग दिखाई देता है,
मानव ही नहीं यह प्रकृति पुंज,
सब नज़र उधर कर लेता है|

नारी हो रही वेआवरू उसको करना है , जो कर ले |
हम लोग अगर पुरुषोतम है, क्यों न नज़रे नीची कर ले ?
अस्तित्व के लिए नारी को , संघर्ष बहुत करना होगा |
हम राम कृष्ण के वंसज है मर्यादा में रहना होगा |

बहने अब तुम आगे आओ ,
मैं तेरा सहारा बन लूँगा ,
तुम गंगा की लहर बनो ,
मैं तेरा किनारा बन लूँगा,
"आखिर" , तुम भी तो सीता हो ,
क्या ? रावन को माफ़ करोगे |
इंसाफ तुला तेरे हाथो में ,
तुम ही इंसाफ करोगे|

मर्यादा तेरे हाथो में ,यह याद तुम्हे रखना होगा|
हम राम कृष्ण के वंसज है मर्यादा में रहना होगा |

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