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Friday, June 25, 2010

आदत सी हो गयी हैं


मैं अपने आप से वाकिफ हूँ ,
फिर भी आईने देखता हूँ ,
बदलाव तो आता नहीं ,
क्योंकि...मोह में फंसा हूँ ...!
लेकिन आईने देखने की
आदत सी हो गयी हैं...!

पहचान बनाना, दोस्ती का हाथ बढ़ाना ,
बिना मतलब का ,
व्यर्थ के झमेले में पड़ना ,
आदत सी हो गयी हैं...!

न जाने किसी को खुश देखना
किसी की एक मुस्कान के लिए मिट जाना
जब भी उसकी याद आये तो मुस्कुरा देना |
आदत सी हो गयी हैं ...!

मैं जानता हूँ की वो मुझे नहीं चाहती ....?
पर फिर भी उसकी तरफ एक आशा भरी निगाह से देखना
आदत सी हो गयी हैं...!

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