Click here for Myspace Layouts

Thursday, June 3, 2010

सच्चाई !

में नित्य पढता रामायण
साथ में होती हे गीता ,
मैं इतना भी तो बुरा नहीं
जो पीकर कहूँ नहीं पीता !

ओ आलोचक विष घोल नहीं ,
साहित्य समझ कुछ बोल नहीं ,
रंगरुटो से कह दे कोई ,
मंदिर में पीटे ढोल नहीं !

No comments:

Post a Comment